January 31, 2011

प्याज़ का सेलेब्रिटी टाइम

अँग्रेज़ी चॅनेल्स किसी को भी सेलेब्रिटी बना देने की ताक़त रखते हैं. प्याज़ की क़ीमतों ने अँग्रेज़ी चॅनेल्स को एक खबर दे दी, यह भी अपने आप में एक खबर है. प्याज़ के दाम अँग्रेज़ी चॅनेल्स के लिए खबर है इस पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है. मुश्किल इसलिए क्योंकि अँग्रेज़ी चॅनेल में काम कर रहे लोगों और उनके दर्शको के लिए प्याज़ कभी महेंगा नही होता. ऐसा इसलिए क्योंकि अँग्रेज़ी चॅनेल में काम करने वाले लोगों को और उनके दर्शको को प्याज़ के दामो में दस या पचास रुपये का उतार चढ़ाव महसूस नही होता. ये उनकी आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है. खेर वो एक अलग विषय है जिसपे अलग चर्चा और कभी.

इन्फ्लेशन डबल डिजिट में पहुँचा और प्याज़ ८० रु किलो मिलने लगा. जब हर तरफ प्याज़ की ही बात हो रही हो तो क्या अँग्रेज़ी और क्या हिन्दी सब खबर पर टूट पड़े. प्याज़ हर दूसरे मिनिट टीवी पे नज़र आने लगा. प्याज़ उस साप्ताह किसी सेलेब्रिटी से कम नही था. कुछ ने प्याज़ के स्पेशल एफेक्ट्स वाले ग्रॅफिक्स भी बना दिए. फ़र्क करना मुश्किल था की प्याज़ है या हॅंड ग्रीनेड. ऑफीस के कुछ ऐसे लोग स्टोरी पर काम करने लगे जिन्होने ना तो कभी प्याज़ खरीदा और ना तो कभी प्याज़ की कीमते जानी (बिग टाउन वाले). इन लोगों पर ये भार डाला गया की आप लोग प्याज़ की स्टोरी पर काम करेंगे. कुछ थे जो उत्साहित हुए. कुछ निराश भी थे. निराशा काम को लेकर नही बल्कि प्याज़ को लेकर थी. प्याज़ भी कोई स्टोरी है. पाकिस्तान, भ्रष्टाचार पे काम करने वाले लोगों के लिए प्याज़ एक अलग अनुभव था.

टीवी में काम ठीक होने से ज़्यादा वक़्त पर पूरा कर देना स्किल माना जाता है. काम शुरू हुआ. संपादक ने अपनी अनोखी आवाज़ में एक आदेश दिया. कहा, "मुझे स्क्रीन पर देश के चार प्रमुख शहरो के प्याज़ के दाम देखने हैं." आदेश का इतना जल्दी पालन शायद हिट्लर भी नही करवा पाया होगा. प्याज़ की कीमतो का पता करने के लिए स्टोरी पर काम कर रहे लोगों ने कलयुग के भगवान का सहारा लिया- बाबा गूगल. कीमते कितनी हैं ये गूगल बाबा ही बता पाएँगे. आख़िर गूगल एक ही ऐसा प्राणी है जो किसान से लेकर साइंटिस्ट सब कुछ है. गूगल बाबा ने सारे प्रमुख शहरो की कीमते सर्च रिज़ल्ट के ज़रिए सामने पटक दी. गूगल से मिले आकड़ो को स्क्रीन पर चढ़ा दिया गया. कुछ देर बाद परेशान लोगों ने ऑफीस में फोन करना शुरू कर दिया. सवाल थे की क्या प्याज़ के दाम सचमुच इतने बढ़ गये हैं? क्या प्याज़ सस्ता नही होगा? क्या प्याज़ का उत्पादन कम हो रहा है? ऑफीस में बैठे आंतरिक खेती एक्सपर्ट्स अपने अपने तर्क देने लगे. लोगों के आने वाले कॉल्स से खुश संपादक किसानी सीख सब ठीक कर देने की बात करने लगे. इससे पहले वो प्रधानमंत्री या सेनाध्यक्ष बन देश संभालने की भी इच्छा प्रकट कर चुके हैं. दर्शको के प्रतिसाद से खुश लोगों के ठहाको के बीच किसी ने स्क्रीन पर चल रही कीमते देखी. कुछ आकड़े थोक के भाव थे और कुछ खुले बाज़ार के. थोड़ी देर बाद इस बात का भी खुलासा हो गया की जनता के फोन आकड़ो में दिखने वाले फ़र्क की वजह आ रहे थे न की प्याज़ के दमो को लेकर. देखने वाले हैरान थे की दो शहरो के दमो में इतना फ़र्क कैसे आ गया. जिन जनाब को गूगल से आँकड़े मिले उन्होने बिना किसी कष्ट के उनका इस्तेमाल कर लिया. देखना भूल गये की आँकड़े आज के नही तीन दिन पुराने है. जाहिर है फोन करने वाले लोग चिंतित थे. संपादक के अंदर का किसान फिर जगा. अपने किसानी रूप में बाहर आए और प्याज़ के दाम गूगल से नही रिपोर्टर्स से पूछने का आदेश दे गये. रिपोर्टर्स जो अभी तक प्याज़ के बढ़े दाम सबसे बड़ी स्टोरी होने को मज़ाक समझ रहे थे संपादक की आवाज़ बॅकग्राउंड में सुन कर मंडियो में फोन घुमाने लगे. आधे घंटे बाद सारे प्रमुख शहरों के प्याज़ के दाम मिले और स्टोरी आगे बढ़ी.

गूगल से निकले आँकड़ो का इस्तेमाल करने वाले इस शक्स की हालत कुछ ऐसी थी की लगा जैसे संपादक इसे प्याज़ की खेती सीखा कर ही दम लेंगे. जब चार दिनो तक प्याज़ की वजह से गलिया खानी पड़ी तो कसम खा ली की गूगल का इस्तेमाल किसी काम के लिए नही करूँगा. अगले चार दिन तक देश की सारी प्रमुख मंडियो में फोन कर प्याज़ के दाम पता करने का काम इन जनाब को दे दिया गया. जो उन्होने खुशी खुशी स्वीकारा.   

गूगल सर्च में प्याज़ टॉप पर था. प्याज़ की नयी इमेजस गूगल पर अपलोड हो चुकी थी. दूसरे दिन से ऑफीस में बिज़्नेस न्यूसपेपर्स में प्रकाशित होने वाले मंडी अपडेट्स भी पढ़े जाने लगे. अँग्रेज़ी चॅनेल्स ने प्याज़ को सेलेब्रिटी बना दिया.

1 comment:

  1. Ha ha ha. Its 'pyaaj Live'. I visualise a scene. All lead reporters reach APMC market. They trap a customer who is going to commit suicide due to inflation. He participates prime time talk show. He says he would suicide with his family if onion prizes does not lessen. Then agriculture minister on phono. Agriculture minister asks anchor to tell current onion prizes and anchor is blank. He asks anchor when last time he went market and buy onion. He is blank again. Then opposition offers 10kg onion to that customer. Customer happy. Next moment, breaking news appears on screen, "...... EFFECT. BLA BLA CHANGED HIS MIND. BLA BLA CHANNEL SAVED A LIFE. '

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