February 11, 2011

मनमोहन सिंह निबंध का विषय नही हैं!

स्कूल की परीक्षा में निबंध लिखना दो अलग तरीक़ो से देखा जाता रहा है! एक सोच निबंध लिखने को स्कूली जीवन के मनोरंजन की तरह देखती रही है! यह वो लोग हैं जिन्हे निबंध लिखना एक आसान काम लगता हैं! ठीक ठाक लिखना आता हो तो निबंध अच्छे नंबर दिला सकता है! दूसरी सोच निबंध लिखने को बड़ा कठिन मानती रही है! इन लोगो के मुताबिक निबंध बच्चो के मन में डर भी भर देता है! ऐसे किस्से सुनने को मिला करते हैं!

स्कूली जीवन में ज़्यादातर लोगों ने निबंध लिखा होगा! सबसे प्रिय विषय 'हमारे प्रधानमंत्री श्री ज़वाहरलाल नेहरू' हुआ करता था! ऐसा इसलिए क्योंकि जवाहरलाल नेहरू के बारे में जानकारी का कोई अभाव नही था! जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे इसलिए उनका अलग से परिचय करवाने की ज़रूरत नही होती थी! कम पढ़े लिखे परिजन भी अपने बच्चो को इस विषय पर आसानी से निबंध लिखवा दिया करते थे! देश के हर कोने में नेहरू के बारे में लोग काफ़ी कुछ जानते थे! आज़ादी के बाद से लगभग पचास सालों तक जवाहरलाल नेहरू पर निबंध लिखा जाता रहा है! आगे आने वाले पचास सालों तक लिखा जाता रहेगा!! बस बाल दिवस और लाल गुलाब के बारे में लिख दीजिए और पूरे नंबर मिल जाते थे! शायद इसलिए पंडितजी की तरह स्कूली बच्चो को भी पंडितजी से बड़ा प्यार था! पंडितजी वाज़ द फर्स्ट अंड मोस्ट पॉपुलर प्राइम मिनिस्टर ऑफ द कंट्री पहली लाइन होती थी! पंडितजी पर लिखे जाने वाले निबंधो में लिखने वालों के आदर भाव की भी थोड़ी बहुत झलक हुआ करती थी! आदर भाव की समझ तो नही थी, पर इस तरह के निबंध लिखने का अनुभव मुझे अपने स्कूली जीवन के पहले पाँच सालो तक मिला था! 

आज के स्कूली बच्चो को 'हमारे प्रधानमंत्री' जैसे विषय पर निबंध लिखने को कहा जाए तो मनमोहन सिंह के नाम के अलावा कुछ लिख पाए तो गनीमत होगी! डर है की कहीं अधिकतम बच्चे फेल ना हो जाए! ना तो बच्चे मनमोहन सिंह की विशेषताओ को जानते हैं और ना ही उनके कहे गये वाक़्यो को याद रख सकते हैं! क्या करें हमारे प्रधानमंत्री बड़े लो प्रोफाइल हैं! नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे इसलिए निबंध के माध्यम से बिकते रहे! जब मनमोहन सिंह आए तो लगा जैसे कोई है जो नेहरू को निबंधो के प्रश्नो से हटा देगा! या तो नेहरू के साथ अपना भी स्थान बना लेगा! देश में आर्थिक उदारीकरण का चेहरा रहे मनमोहन सिंह दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी देश से दो ही वाक्य कहते रहे हैं! ना तो इससे ज़्यादा कुछ बोले हैं और ना ही इससे ज़्यादा जनता उन्हे जानती है! नक्सलवाद सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती है और बढ़ती महेंगाई विकास दर में बाधा डालने का काम कर रही है! इसके अलावा मनमोहन कभी कुछ नही बोले! गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर दिए जाने वाले राष्ट्र के नाम संदेश जिस तरह सरकारी लगते हैं, उसी तरह मनमोहन सिंह भी सरकारी फ्रेम में गढ़ी तस्वीर लगते हैं! 


महानगारो के बाहर कितने लोग मनमोहन सिंह को जानते होंगे ये भी देखने वाली बात होगी! आज के स्कूली जीवन में प्रधानमंत्री की जगह स्कूली दीवारो पर लगने वाली तस्वीर से ज़्यादा नही है! हर दिन भ्रष्टाचार से लड़ते वो अकेले खड़े नज़र आते हैं! वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन तो गये लेकिन बिज़्नेस हाउस से स्कूल में शिफ्ट नही हो पाए! राहुल गाँधी वाला आम आदमी मनमोहन को नही जानता होगा! उसे सोनिया गाँधी पता है! कल कोई ये पोल छाप दे की आधा देश सोनिया गाँधी को प्रधानमंत्री समझता हैं तो कोई झटका नही लगेगा!

निबंध उन चुने हुए लोगों के बारे में लिखा जाता था जो देश, समाज को प्रेरित करते रहे है! ओबामा अपनी जनता से नियमित बात करते नज़र आते है! हमारे प्रधानमंत्री ना बात करते हैं और ना उनका काम हमसे बात करता है! वो भाषण ज़रूर देते हैं! जो ना जनता को समझ आता है और ना ही प्रधानमंत्री के साथ बैठे लोगो को! मनमोहन किसी को प्रेरित नही करते! शायद खुद को भी आइने में देखना टाल देते होंगे! आर्थिक उदारीकरण के सूत्रधार रहे मनमोहन सिंग को जनता सिर्फ़ सरकारी कार्यक्रमो के माध्यम से ही जानती हैं! प्रधानमंत्री से जनता की मुलाकात समाचारपत्रो में छपने वाले शिलान्यास के इश्तहारो के ज़रिए ही होती है! मनमोहन सिंह आज भी किसी बाहरी अधिकारी की तरह देखे जाते है!

मनमोहन वो प्रधानमंत्री हैं जो निबंध को कठिन बना देते हैं! मनमोहन सिंह उस सोच का हिस्सा हैं जिसमे निबंध लिखना बड़ा कठिन काम माना जाता है! इस जनता और उनके प्रधानमंत्री के बीच बढ़ते फ़ासले की वजह से ही मनमोहन सिंह निबंध का विषय नही हैं!

1 comment:

  1. This would be the only available ESSAY on Dr. Manmohan Singh.

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